राजस्थान के प्रमुख लोकदेवता
(1) पाबूजी राठौर
**पाबूजी राठौर
जन्म – कालू (फलोदी) 1239 ई.
पिता – धांधल जी राठौड़
माता – कमलादे
पत्नी – फुलमदे/सुप्यारदे(अमर कोट के सूरजमल सोढा की पुत्री )
गुरु – गुरु गोरखनाथ जी
घोड़ी – केशर कलमी( देवल चारणी की घोड़ी थी )
♂️–उपनाम
– गो रक्षक देवता
– लक्ष्मण जी के अवतार
– प्लेग रक्षक देवता
– ऊंटों के देवत
— मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को दिया जाता है
— ऊंट पालक जाती रायका (रेबारी) इन्हें अपना आराध्य देव मानती हैं
— गुजरात शासक आना बघेला से विद्रोह करके
सात थोरी भाइयों चांदा देवा,खापु,मेंपा,पाबूजी ने सरण दी ।
— पाबूजी का बहनोई जिंदराव खींची (जायल नागौर ) देवल चारणी की गाये चुराकर ले गया ।
— ढेचू गांव फलौदी में युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हूए यही पाबूजी महाराज की समाधि थी
— पाबूजी के सहयोगी चांदा डेमा बाघेला राजपूत वह हरमल रेबारी
—पाबूजी ने विवाह के समय साढ़े तीन फेरे लिए थे।।
♂️ मंदिर
— कोलूमंद फलोदी में जहां केसर कालमी घोड़ी पर पाबूजी की बाई और झुकी पाग की प्रतिमा व हाथ में भाला है ।।
— यह चैत्र अमावस्या को मेला लगता है
— अन्य मंदिर आहड़( उदयपुर )
— मेहर जाति के मुसलमान पाबूजी को पीर मानकर पूजते हैं
— पाबूजी के गाथा गीत पाबूजी के पवाड़े (वीर गाथा) माठ वाद्य यंत्र नायक व रेबारी जाति द्वारा बनाए जाते हैं
—पाबूजी की फ़ढ नायक जाति के लोगों द्वारा रावणहत्था वाद्य यंत्र के साथ बाची जाती हैं ।।
***प्रमुख रचना
— पाबू प्रकाश – आशिया मोजड़ी
— पाबुजी रा छंद – बीटू मेहा जी
— पाबूजी रा सौरटा – रामनाथ कविया
– पाबूजी का दोहा – लघराज
– पाबूजी के गीत – बांकीदास
– पाबूजी री बात – लक्ष्मी कुमारी चुंडावत
No comments:
Post a Comment