★पंच पीर लोकदेवता
★ इन्हें पंच पीर भी कहते है इन की पूजा हिन्दू ओर मुस्लमान होने ही समुदायों के लोग पूजते है
★★1. जन्म और प्रारंभिक जीवन
★जन्म: बाबा रामदेव जी का जन्म विक्रम
संवत 1409 (सन् 1352 ई.) में राजस्थान के(शिव )बाड़मेर ज़िले के रूणिचा गाँव में हुआ।
★पिता: अजमलजी तंवर (राजपूत वंश के राजा)
★माता: मैणादे
★पत्नी: नेतलदे
★घोड़ा: लीलाण
★गुरुजी: बालीनाथ जी (समाधि मैसूरिया पहाड़ी जोधपुर)
★ ≈ भाद्रपद शुक्ल एकादशीमि को रामसरोवर झील के किनारे रामदेवरा में १२४८/1458 ई. (वि.सवंत १५१५/1515 ई.) में रामदेव जी ने जीवित समाधि ली
– रामदेवजी के मेले पर काम जाती की महिलाएं तेरहताली नृत्य करती है रुणैचा / रामदेवरा (जैसलमेर)
– मंदिर पर पांच (5) रंगों की पचरंगी व्घजा नेजा कहलाती हैं
– रामदेवजी का मन्दिर देवरा कहलाता है
– मंदिरबमे चरण चिन्ह स्थापित किए जाते हैं उसे पगलिया कहते है
– मेला –भाद्रपद शुक्ल द्वितीय से एकादमी तक
– राजस्थान में सांप्रदायिक
सद्भाव का सबसे बड़ा मेला ( हिंदू–मुस्लिम बड़ी मात्रा में आते हैं
★ रामदेवजी ने बाल्यकाल में मल्लिनाथ से पोकरण प्राप्त कर भैरव राक्षस का वद किया पोकरण पुनः बसाया और पोकरण अपनी भतीजी को दहेज में दे दिया
★मक्का के पांच पिरो ने रामदेवजी के चमत्कारों को देखकर
पीरो का पीर कहा ।।
★जन्म के समय से ही इनके अंदर दिव्य शक्तियों के लक्षण माने जाते थे।
★2. धार्मिक पहचान
≈ रामदेव जी को हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है।
≈ मुस्लिम समुदाय में इन्हें रामशाह पीर के नाम से जाना जाता है और एक "पीर" के रूप में सम्मान दिया जाता है।
≈ वे साम्प्रदायिक सौहार्द, गरीबों की सेवा और सामाजिक समानता के प्रतीक माने जाते हैं।
★3. मुख्य शिक्षाएँ और कार्य
≈जात-पात का विरोध किया और सभी को एक समान माना।
≈गरीबों और दलितों को भोजन, वस्त्र और सम्मान दिया।
≈समाज में भक्ति, सत्य और सेवा का संदेश फैलाया।
≈चमत्कारी शक्ति से रोगियों को ठीक करना, पीड़ितों की मदद करना और संकट में पड़े लोगों को बचाना इनके जीवन के प्रसिद्ध प्रसंगों में शामिल है।
★4. प्रसिद्ध चमत्कार
≈बाबा रामदेव जी के चमत्कारों में सबसे प्रसिद्ध है— दूर से ही भक्तों को दर्शन देना, पानी पर चलना, और बिना बताए भक्तों की मदद पहुँचा देना।
≈मुस्लिम फकीरों के साथ संवाद कर उन्हें संतुष्ट करना, जिससे उनका सम्मान "पीर" के रूप में भी बढ़ा।
★5. समाधि स्थल
★ स्थान: रूणिचा (बाड़मेर, राजस्थान)
≈तिथि: विक्रम संवत 1442 (लगभग सन् 1385 ई.) में मात्र 33 वर्ष की आयु में जीवित समाधि ली।
≈समाधि स्थल पर भव्य मंदिर बना हुआ है, जो हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।
★6. मेला और उत्सव
≈रूणिचा मेला: भाद्रपद शुक्ल दशमी से एक सप्ताह तक चलता है।
≈इस मेले में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
≈मेला केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि लोक-संस्कृति, लोक-नृत्य और लोक-गीतों का भी बड़ा केंद्र है।
★7. पूजा और भक्ति परंपरा
≈भक्त उन्हें "रामसा पीर" कहकर पुकारते हैं।
≈मंदिर में चूरमा, मिठाई, नारियल, ध्वजा और चादर चढ़ाने की परंपरा है।
≈मुस्लिम भक्त चादर चढ़ाते हैं, हिंदू ध्वजा चढ़ाते हैं — यह आपसी भाईचारे का प्रतीक है।
★8. लोक संस्कृति में स्थान
≈ राजस्थानी लोकगीतों, कथाओं और भजनों में रामदेव जी का बहुत वर्णन है।
≈"पाला रामापीरा का" नामक लोकगाथा विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसे लोक भाट गाते हैं।
≈ऊँट-घोड़ों की सजावट, लोकनृत्य, भजन-कीर्तन इनके मेलों की शान होते हैं।
★9. प्रमुख संदेश
≈समानता: जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी को एक मानना।
≈सेवा: गरीब, पीड़ित और जरूरतमंद की सेवा करना।
≈भक्ति: सच्चे मन से ईश्वर का स्मरण करना।
≈भाईचारा: हिंदू-मुस्लिम एकता का पालन करना।
★बाबा रामदेव जी के प्रसिद्ध चमत्कार
★1. पाँच पीरों की परीक्षा
≈सिंध प्रदेश से पाँच मुस्लिम फकीर बाबा रामदेव जी की ख्याति सुनकर उनकी परीक्षा लेने रूणिचा आए।
≈उन्होंने अपनी थालियाँ पानी पर तैराकर कहा – "अगर तुम सच में पीर हो, तो हमारे साथ थाली पर बैठकर आओ।"
≈बाबा ने अपनी थाली पानी पर रखी और उसी तरह बैठकर उनके पास पहुँचे।
≈पाँचों फकीर उनके दिव्य स्वरूप से प्रभावित होकर उन्हें "रामशाह पीर" मानने लगे और जीवन भर के लिए उनके भक्त हो गए।
★2. अंधे भक्त को दृष्टि मिलना
≈एक बार एक अंधा भक्त बाबा से मिलने आया।
≈बाबा ने प्रेमपूर्वक उसका सिर सहलाया और कहा – "अब अपने राम को देखो।"
≈कहते हैं, उसी क्षण उसकी आँखों की रोशनी लौट आई।
≈यह कथा लोकभजनों में आज भी गाई जाती है।
★3. दूर से सहायता पहुँचना
≈मान्यता है कि बाबा अपने भक्तों की मदद दूर से ही कर देते थे।
≈यदि कोई भक्त कठिनाई में होता, तो बाबा बिना बुलाए उसकी सहायता कर देते।
≈लोककथाओं में यह भी आता है कि बाबा घोड़े पर सवार होकर पल भर में मीलों की दूरी तय कर लेते थे।
★4. अनाज से भरी कोठार की कथा
≈एक बार गाँव में भयंकर अकाल पड़ा।
≈बाबा ने अपनी कोठार (अन्न भंडार) खोल दी और कहा – "जब तक कोई भूखा है, अन्न ले जाओ।"
≈लोग दिन-रात अनाज लेते रहे, लेकिन कोठार कभी खाली नहीं हुई।
≈इस कथा को राजस्थान के लोकगीतों में “रामापीरा की कोठार” कहा जाता है।
★5. दूध की नदी बहना
≈एक गाय चरते-चरते बहुत दूर चली गई और रास्ता भटक गई।
≈बाबा ने उसकी खोज में निकले और देखा कि वह थककर गिर गई है।
≈बाबा ने पानी का कटोरा उसके पास रखा, तो पानी दूध में बदल गया और पूरी नदी जैसी धारा बहने लगी।
≈यह चमत्कार ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत प्रसिद्ध है।
≈प्रसिद्ध लोककथाएँ और लोकगीत
★1. पाला रामापीरा का
≈यह राजस्थान की एक लंबी लोकगाथा है, जिसमें बाबा के जन्म से लेकर समाधि तक की कथा पद्य रूप में गाई जाती है।
≈भाट, चारण और माँगणियार समुदाय इसे ढोलक, चंग और कमायचा की धुन पर गाते हैं।
≈इसमें पाँच पीरों की कथा, अंधे भक्त की कथा, और समाधि लेने की घटना विशेष रूप से शामिल है।
★2. समाधि लेने की कथा
≈बाबा को पूर्वाभास हो गया था कि उनका समय आ गया है।
≈उन्होंने गाँववालों और भक्तों को बुलाया, आशीर्वाद दिया और जीवित समाधि ले ली।
≈कहा जाता है, समाधि लेते समय उनके मुख पर दिव्य मुस्कान थी और चारों ओर चंदन, केसर और गुलाब की खुशबू फैल गई थी।
★ 3. हिंदू-मुस्लिम एकता की कहानी
≈बाबा के भक्तों में हिंदू और मुस्लिम दोनों थे।
≈एक बार मंदिर में चादर चढ़ाने को लेकर विवाद हुआ, तब बाबा ने कहा – "राम और रहीम एक हैं, सेवा ही सबसे बड़ा पूजन है।"
≈इसके बाद से रूणिचा में मेला दोनों समुदाय मिलकर मनाने लगे।
√ 4. भूत-प्रेत से मुक्ति
≈लोककथाओं में आता है कि बाबा के नाम का स्मरण करने मात्र से भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियाँ दूर हो जाती थीं।
≈इसलिए आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में किसी को डर लगे या बीमारी हो, तो उसके घर वाले "रामापीरा" का भजन गाकर उसके पास बैठते हैं।
★5. रूणिचा यात्रा की परंपरा
≈भक्त बाबा रामदेव जी के मंदिर तक पैदल यात्रा (पदयात्रा) करते हैं।
≈यात्रा के दौरान ढोल-नगाड़ों और भजनों का माहौल रहता है।
≈मान्यता है कि पदयात्रा करने वालों की मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती हैं।
प्रश्न 1. बाबा रामदेव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: विक्रम संवत 1409 (सन् 1352 ई.) में राजस्थान के बाड़मेर ज़िले के रूणिचा गाँव में।
प्रश्न 2. बाबा रामदेव जी के पिता और माता का नाम क्या था?
उत्तर: पिता – अजमलजी तंवर, माता – मैणादे।
प्रश्न 3. बाबा रामदेव जी को हिंदू और मुस्लिम समुदाय किन नामों से जानते हैं?
उत्तर: हिंदू – भगवान कृष्ण का अवतार, मुस्लिम – रामशाह पीर।
प्रश्न 4. बाबा रामदेव जी की समाधि कहाँ स्थित है?
उत्तर: रूणिचा, बाड़मेर, राजस्थान।
प्रश्न 5. बाबा रामदेव जी ने कितनी आयु में जीवित समाधि ली थी?
उत्तर: लगभग 33 वर्ष की आयु में (विक्रम संवत 1442)।
प्रश्न 6. रूणिचा में बाबा रामदेव जी का मेला किस माह में लगता है?
उत्तर: भाद्रपद शुक्ल दशमी से प्रारंभ होता है और लगभग एक सप्ताह चलता है।
प्रश्न 7. पाँच मुस्लिम फकीरों के साथ बाबा रामदेव जी की कौन सी प्रसिद्ध घटना जुड़ी है?
उत्तर: पाँच पीरों की परीक्षा — बाबा ने पानी पर तैरती थाली पर बैठकर अपनी चमत्कारी शक्ति दिखाई।
प्रश्न 8. "पाला रामापीरा का" क्या है?
उत्तर: यह बाबा रामदेव जी के जीवन और चमत्कारों पर आधारित प्रसिद्ध राजस्थानी लोकगाथा है।
प्रश्न 9. बाबा रामदेव जी की कोठार से जुड़ी कथा किससे संबंधित है?
उत्तर: अकाल के समय उन्होंने अन्न से भरी कोठार खोल दी, जो कभी खाली नहीं हुई।
प्रश्न 10. बाबा रामदेव जी किन मूल्यों/संदेशों के लिए प्रसिद्ध हैं?
उत्तर: समानता, सेवा, भक्ति, और हिंदू-मुस्लिम एकता।
प्रश्न 11. बाबा रामदेव जी के भजनों में किस वाद्ययंत्र का विशेष प्रयोग होता है?
उत्तर: ढोलक, चंग और कमायचा।
प्रश्न 12. बाबा रामदेव जी को कौन सा खिताब मुस्लिम समुदाय ने दिया?
उत्तर: रामशाह पीर।